टिंचरी माई
गढ़वाल में शराब विरोधी आंदोलन एवं शिक्षा के छेत्र में अग्रणी भूमिका। टिंचरी माई का जन्म 1917 में ग्राम मंज्युर, तहसील थलीसैण में तथा विवाह ग्राम गवाड़ी, ब्लॉक पोखड़ा, जिला पौड़ी गढ़वाल के हवलदार गणेशराम नवानी से हुआ था जो द्वितीया विश्व युद्ध में शहीद हो गए थे. परिवार में विरक्त होने पर ये जोगन बन गयी मगर सामाजिक कार्योँ में अपने योगदान के लिए सारे गढ़वाल में प्रसिद्ध हुईं। इनका वास्तविक नाम दीपा देवी था. गाँव में यह ठगुली देवी के नाम से पुकारी जाती थी. इच्छागिरी माई के रूप में भी इन्होने प्रसिद्धि पायी। इन्होने सामाजिक कुरीतियों तथा धार्मिक अंधविश्वासों का डटकर सामना किया। गढ़वाल में ५०-६० के दसक में आयुर्वेद दवाई के नाम पर बिकने वाली शराब (टिंचरी) की दुकानों को बंद कराने तथा बच्चों की शिक्षा विशेषकर बालिकाओं की शिक्षा के लिए स्कूलों का निर्माण कराने में इनका बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा। टिंचरी माई का निधन 75 साल की उम्र में १९९२ में हो गया. इस महान महिला को हमेशा याद किया जाएगा।
दीपा देवी- टिंचरी माई
RELATED ARTICLES