नैनीताल : चारधाम यात्रा से जुड़े व्यापारियों, पुजारियों, पंडा पुरोहितों और यात्रियों के लिए एक बड़ी राहत भरी खबर खबर नैनीताल हाईकोर्ट से आई है। उच्च न्यायालय ने उत्तराखंड चार धाम यात्रा पर लगी रोक के चलते चौतरफा घिरती जा रही धामी सरकार को आखिरकार गुरुवार को बड़ी राहत मिल गई। चीफ जस्टिस आरएस चौहान और जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की बेंच ने सरकार के शपथपत्र पर सुनवाई करते बड़ी राहत दे दी है। लेकिन कुछ सख्त प्रतिबंध भी जारी रखने को कहा है।
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क्या था पूरा मामला चारधाम यात्रा पर प्रतिबंध का ?
मालूम हो कि हाईकोर्ट ने 26 जून को कोरोना संक्रमण के खतरे और राज्य सरकारी की आधी-अधूरी तैयारियों के चलते चारधाम यात्रा पर रोक लगा दी थी जिसके बाद जुलाई में धामी सरकार चार हफ्ते की हाईकोर्ट स्टे के खिलाफ एसएलपी लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी। लेकिन जुलाई-अगस्त दो माह बीत जाने के बाद भी सरकारी वकील मामले की लिस्टिंग तक नहीं करा पाए।
#हाईकोर्ट की चारधाम यात्रा पर चार हफ्ते की रोक हटाने को सुप्रीम कोर्ट में आठ हफ्ते बाद भी मामला लिस्ट नहीं करा पाई धामी सरकार अब लौटकर फिर पहुँची #high Court उच्च न्यायालय।
इधर स्थानीय कारोबारियों, तीर्थ-पुरोहितों और विपक्ष की घेराबंदी से धामी सरकार बैकफुट पर आ चुकी थी। लिहाजा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से एसएलपी वापिस लेकर दोबारा 10 सितंबर को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जहां उसे राहत मिल गई।
याचिकाकर्ता अभिजय नेगी कहते !
हाईकोर्ट में चारधाम यात्रा और सूबे की बदहाल health system को लेकर दाखिल कई याचिकाकर्ताओं में शुमार अधिवक्ता अभिजय नेगी ने हाईकोर्ट के फैसले पर कहा, ‘चारधाम यात्रा खोले जाने पर सभी पक्षकारों की सहमति है। अगर सरकार स्वास्थ्य ढांचे से सम्बंधित चाक-चौबन्ध तैयारियां पहले ही माननीय उच्च न्यायालय को अवगत करा देती तो यात्रा पर रोक की नौबत नही आती। उम्मीद करते हैं कि सरकार पुख्ता स्वास्थ्य व्यवस्था और सफाई व्यवस्था के साथ यात्रा को जारी रख पाएगी’।
चार धाम यात्रा पर हाई कोर्ट की तरफ से मिली राहत को विस्तार से जानिए!
उच्च न्यायालय ने चारधाम यात्रा पर लगाई गई रोक को कुछ प्रतिबंधों के साथ हटा दिया है। मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने केदारनाथ धाम में प्रतिदिन 800 भक्त या यात्रियों, बद्रीनाथ धाम में 1200, गंगोत्रि में 600, यमनोत्री धाम में कुल 400 यात्री जाने की अनुमति दी है।
न्यायालय ने कहा कि, हर भक्त या यात्री को कोविड नेगेटिव रिपोर्ट और दो वैक्सीन का सर्टिफिकेट ले जाना होगा। चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों में होने वाली चारधाम यात्रा के दौरान आवयश्यक्तानुसार पुलिस फोर्स लगाने को कहा है। भक्त किसी भी कुंड में स्नान नहीं कर सकेंगे।
मुख्य न्यायाधीश आर.एस.चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में महाधिवक्ता एस.एन.बाबुलकर और मुख्य शासकीय अधिवक्ता सी.एस.रावत ने चारधाम यात्रा पर सरकार की तैयारियों की जानकारी दी। इस दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता शिव भट्ट ने चारधाम में भक्तों और यात्रियों की सुरक्षा संबंधी बिंदुओं को उजागर किया। राज्य सरकार ने न्यायालय से चारधाम यात्रा पर लगाए गए स्टे को हटाने की मांग की। उन्होंने कहा कि, कोविड महामारी का संक्रमण अब पहले से बहुत कम हो गया है। चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों में पड़ने वाले चारों धामों में भक्तों और यात्रियों के लिए स्वास्थ्य आपातकाल की विशेष सुविधा के लिए जोर दिया गया है। न्यायालय ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि, वर्ष में एक बार होने वाली चारधाम यात्रा जो अक्टूबर में समाप्त हो जाती है, इसमें उस मार्ग में काम करने वाले व्यापारी इसके बन्द होने से बेरोजगारी हो जाते हैं। न्यायालय ने कहा कि, अब सभी यात्रियों को यात्रा करने से पहले अपने को पंजीकृत करना होगा, इसके अलावा नैगेटिव टैस्ट रिपोर्ट और दो वैक्सीन सर्टिफिकेट ले जाना भी अनिवार्य होगा।